Rabindranath tagore biography and childhood in hindi

रबीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी, इतिहास, रचनाएँ और मृत्यु | Rabindranath Tagore Biography (Birth, Education) , Portrayal, Literarture Work and Death manifestation Hindi

माँ भारती के शिखर-पुत्रों में से एक, कवि कुलगुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर संवेदना, रचनात्मकता, नैतिकता और प्रगतिशीलता के ज्वलंत प्रेरक पुंज थे.

वे राष्ट्रीय गान के रचनाकार और साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता भी थे. वह बंगाली कवि, ब्रह्म समाज के दार्शनिक, चित्रकार और संगीतकार थे. वह एक सांस्कृतिक समाज सुधारक भी थे. आज भी रविन्द्रनाथ टैगोर को उनके काव्य गीतों और साहित्य रचना के लिए जाना जाता है. उनके साहित्य आध्यात्मिक और मर्यादा पूर्ण रूप से अपने कार्यों को प्रस्तुत करते थे.

वे अपने समय की उन महान शख्सियत में से है जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया.

अपनी साहित्यिक परिभाषा के कारण ही उन्हें अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों के साथ उनकी बैठक विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच संघर्ष के रूप में जानी जाती है. रविन्द्रनाथ टैगोर ने अपने साहित्यिक परिश्रम से दुनिया के सभी हिस्सों में अपनी विचारधारा को फैलाने का कार्य किया.

उन्होंने जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में भाषण दिए तथा सम्पूर्ण विश्व का दौरा किया. वे नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले ही गैर यूरोपीय थे. भारतीय राष्ट्रगान जन गण मन के अलावा उन्होंने “अमर सोनार बांग्ला” की रचना की थी. जिसे बांग्लादेश के राष्ट्रीय गान के रूप में अपनाया गया. श्रीलंका के राष्ट्रीय गान का भी रविन्द्रनाथ टैगोर की कलम से सृजन हुआ है.

बिंदु(Points)जानकारी (Information)
नाम (Name)रवींन्द्रनाथ टैगोर
पिता का नाम (Father name)देवेंद्र नाथ टैगोर
माता का नाम (Mother name)शारदा देवी
जन्म (Birth)7 मई 1861
जन्म स्थान (Birth Place)कोलकाता
शिक्षा (Education)लन्दन लॉ कॉलेज
कार्यक्षेत्र (Profession)कवि
पुरस्कार (Awards)नोबेल पुरस्कार (1913)
मुख्य योगदान (Major Work)राष्ट्रगान के रचियता

रविंद्र नाथ टैगोर जन्म और प्रारंभिक शिक्षा (Rabindranath Tagore Birth and Initial Life)

रवीना टैगोर का जन्म 7 मई 1861 में कोलकाता के जोड़ासाँको की हवेली में हुआ था.

उनके पिता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर था. इनके पिता ब्रह्म समाज के एक वरिष्ठ नेता और सादा जीवन जीने वाले व्यक्तित्व थे. इनकी माता का नाम शारदा देवी था. वे एक धर्म परायण महिला थी. परिवार के 13 बच्चों में सबसे छोटे रविन्द्रनाथ टैगोर ही थे. बचपन में ही टैगोर की माता जी का निधन हो गया था. जिसकी वजह से उनका पालन पोषण नौकरों द्वारा ही किया गया.

रबिन्द्रनाथ की प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में हुई.

रबिन्द्रनाथ टैगोर का विवाह (Rabindranath Tagore Marriage)

वर्ष 1883 रबिन्द्रनाथ टैगोर का विवाह म्रणालिनी देवी से हुआ. उस समय म्रणालिनी देवी सिर्फ 10 वर्ष की थी. रविंद्र नाथ टैगोर ने 8 वर्ष की उम्र में ही कविता लिखने का कार्य शुरू कर दिया था और 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने भानु सिन्हा के छद्म नाम के तहत कविताओं का प्रकाशन भी शुरू कर दिया था.

वर्ष 1871 में रविंद्र नाथ टैगोर के पिता ने इनका एडमिशन लंदन के कानून महाविद्यालय में करवाया. परंतु साहित्य में रुचि होने के कारण 2 वर्ष बाद ही बिना डिग्री प्राप्त किये वे वापस भारत लौट आए.

वर्ष 1877 में रविंद्रनाथ टैगोर ने एक लघु कहानी ‘भिखारिणी’ और कविता संग्रह, ‘संध्या संघ’ की रचना की.

रविंद्रनाथ टैगोर ने महाकवि कालिदास की कविताओं को पढ़कर ही प्रेरणा ली थी. वर्ष 1873 में रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अपने पिता के साथ देश के विभिन्न राज्यों का दौरा किया. इस दौरान रवीना टैगोर ने विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक और साहित्यिक ज्ञान को जमा किया. अमृतसर के प्रवास के दौरान उन्होंने सिख धर्म को बहुत ही गहराई से अध्ययन किया. और उन्होंने सिख धर्म पर कई कविताएं और लेखों को लिखा.

रबिन्द्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनाये (Rabindranath Tagore Erudite Works)

रविंद्रनाथ टैगोर ने कई कविताओं, उपन्यासों और लघु कथाएं लिखीं.

लेकिन साहित्यिक कार्यों की अधिक संख्या पैदा करने की उनकी इच्छा केवल उनकी पत्नी और बच्चों की मौत के बाद बढ़ी.

उनके कुछ साहित्यिक कार्यों का उल्लेख नीचे दिया गया है:

रविंद्रनाथ टैगोर ने बाल्यकाल से ही लेखन का कार्य प्रारंभ केर दिया था. रविंद्रनाथ टैगोर ने हिंदू विवाहों और कई अन्य रीति-रिवाजों के नकारात्मक पक्ष के बारे में भी लिखा जो कि देश की परंपरा का हिस्सा थे.

उनकी कुछ प्रसिद्ध लघु कथाओं में कई अन्य कहानियों के बीच ‘काबुलिवाला’, ‘क्षुदिता पश्न’, ‘अटोत्जू’, ‘हैमांति’ और ‘मुसलमानिर गोल्पो’ शामिल हैं

ऐसा कहा जाता है कि उनके कार्यों में, उनके उपन्यासों की अधिक सराहना की जाती है. रविंद्रनाथ ने अपने साहित्यों के माध्यम से अन्य प्रासंगिक सामाजिक बुराइयों के बीच राष्ट्रवाद के आने वाले खतरों के बारे में बात की.
उनके अन्य प्रसिद्ध उपन्यासों में ‘नौकादुबी’, ‘गोरा’, ‘चतुरंगा’, ‘घारे बायर’ और ‘जोगजोग’ शामिल हैं.

रवींद्रनाथ ने कबीर और रामप्रसाद सेन जैसे प्राचीन कवियों से प्रेरणा ली और इस प्रकार उनकी कविता अक्सर शास्त्रीय कवियों के 15 वें और 16 वीं शताब्दी के कार्यों की तुलना में की जाती है.

अपनी खुद की लेखन शैली को शामिल करके, उन्होंने लोगों को न केवल अपने कार्यों बल्कि प्राचीन भारतीय कवियों के कार्यों पर ध्यान देने योग्य बनाया. रबिन्द्रनाथ टैगोर ने कुल 2230 गीतों की रचना की.

रवींद्रनाथ टैगोर की प्रमुख रचनायें बालका’, ‘पूरबी’, ‘सोनार तोरी’ और ‘गीतांजली’ शामिल हैं.

राजनीतिक दृष्टिकोण (Rabindranath Tagore Bureaucratic View)

रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अपने गीतों के माध्यम से ब्रिटिश प्रशासन को आजादी के लिए नतमस्तक किया.

उन्होंने भारतीय राष्ट्रवादियों का भी समर्थन किया और सार्वजनिक साम्राज्यवाद की सार्वजनिक आलोचना की. रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली का भी पुरजोर विरोध किया. वर्ष 1915 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में उन्हें प्राप्त नाइट की पदवी को वापस कर दिया था. इस पदवी को राजा जॉर्ज पंचम ने रबिन्द्रनाथ टैगोर को प्रदान किया था.

रवींन्द्रनाथ टैगोर मृत्यु (Rabindranath Tagore Death)

रवीन्द्रनाथ टैगोर का निधन 7 अगस्त 1941 को कोलकत्ता में हुआ.

यह भारतीय साहित्य के लिए अभूतपूर्व क्षति थी.

इसे भी पढ़े :

मित्रों आपको यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके अवश्य बताएं. यदि लेख से जुड़े आपके कोई प्रश्न हो तो उनका उल्लेख कमेंट बॉक्स में अवश्य करें.